सावित्री बाई फुले: भारतीय समाज में महिला सशक्तिकरण की अद्वितीय प्रतिष्ठा।

सावित्री बाई फुले भारतीय समाज में महिला सशक्तिकरण की अद्वितीय प्रतिष्ठा।
सावित्री बाई फुले: भारतीय समाज की शक्ति, जिन्होंने महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में नए मील के कदम उठाए। उनका योगदान आज भी हमारे समाज में महत्वपूर्ण है। जानें उनके जीवन से जुड़ी रोचक बातें।

3 जनवरी 2024 सावित्री बाई फुले, जो 3 जनवरी 1831 को महाराष्ट्र के सतारा जिले के निपाणी गाँव में जन्मी थीं, ने भारतीय समाज को उत्थान और महिला समाज में समानता की ओर एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया। उनकी शक्तिशाली आवाज ने समाज में एक नया रूप दिया।

सावित्री बाई फुले:समाज सुधारक

सावित्री बाई का विवाह महात्मा ज्योतिबा फुले से हुआ था, जो भी एक समाजसेवी और कार्यकर्ता थे। उनके साथ मिलकर, वे समाज में बदलाव की दिशा में कदम बढ़ाईं।

महिला शिक्षा का उद्दीपन

सावित्री बाई फुले ने 1852 में “हिंदी हितैषिणी सभा” नामक संस्था की स्थापना की, जो भारत में सबसे पहली महिला स्कूल थी। उनका योगदान महिलाओं को शिक्षित बनाने में हुआ अत्यधिक महत्वपूर्ण था।

शिक्षा के अधिकार की लड़ाई

उन्होंने विधवा और दलित महिलाओं के लिए शिक्षा के अधिकार की लड़ाई में भी सक्रिय रूप से शामिल होकर समाज में सामाजिक न्याय की दिशा में बदलाव को प्रोत्साहित किया।

समाज में महत्वपूर्ण योगदान

सावित्री बाई फुले को “महात्मा” के रूप में सम्मानित किया गया और उनका योगदान आज भी समाज में महत्वपूर्ण है। उनकी निर्मल भावनाओं और समर्पण के लिए उन्हें समाज के उत्थान के लिए एक अद्वितीय प्रेरणा स्रोत माना जाता है।

इस प्रकार, सावित्री बाई फुले ने अपने जीवन में महिलाओं के उत्थान के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान दिया और भारतीय समाज को समृद्धि की दिशा में प्रेरित किया।

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